Thursday 30 July 2020

मेरी मजदूर बीवी

मै एक गरीब आदमी हूं बचपन से ही गरीबी में पला बढ़ा और फिर शहर आके मजदूरी करने लगा मेरी बीवी भी मजदूरी ही करती थी और हम लोगो में प्यार ही गया और हमने शादी कर ली। बीवी ने मजदूरी छोड़ दी और घर संभालने लगी  लेकिन फिर एक दुर्घटना के कारण मेरे हाथ पैर मै ताकत नहीं बची इसलिए मेरी बीवी ने फिर से काम करना शुरू कर दिया। उसने एक फैक्टरी में लेबर का काम करना शुरू कर दिया। 
उसका काम बहुत ही शारीरिक मेहनत का था और मजदूरी करते करते उसके हाथ पैर बहुत मजबूत होने लग गए थे।
धीरे धीरे उसने बीड़ी और शराब पीना शुरू कर दिया और वो बहुत ज्यादा बदलने लगा गई , मैंने पूछा आजकल तुम्हे क्या होता जा रहा है और ये मर्दों वाले शौक कहा से लगा लिए तो वो बोलती थी कि बिना दारू और बीड़ी की थकान नहीं मिटती । मै ये बात मानता था क्यूंकि मै भी जब मजदूरी करता था तो बीड़ी पीये बिना नहीं रहा जाता था । 
फिर धीरे धीरे घर का रूटीन ऐसा हो गया कि जब शाम को वो घर आती तो मै उसको थकान मिटाने के लिए शराब का पेग बना के देता और वो खाट के किनारे जमीन पे ही बैठ जाती , में चूल्हे पे रोटी बनाता और और दारू ख़तम करती , फिर रोटी खाती ।
 हम दिनभर की बाते करते फिर उसको प्यार करने का भूत सवार हो जाता।वो अपने बलिष्ठ हाथो से मुझे गोद में उठाती और कमरे में ले जाती । वहा मुझे पलंग में डाल के वो अपनी घाघरा चोली उतारती । उसी सिर से लेकर पाव तक मर्दों की तरह बाल थे। वो शुरू से ही बड़ी मर्दानापन लिए हुए थी तब ही तो मेरी बीमारी के बाद उसने किसी के सामने हाथ नहीं फैलाएं और खुद मर्दों वाला काम शुरू कर दिया। मुझे उसकी इस बात पर गर्व था। भले ही मेरी बीवी मर्दाना हो पर वो हम दोनों का पेट पालती और हमारी इज्जत बचा के रखती । सबके सामने वो मुझे पति के जैसा ही सम्मान देती थी । पर रात को दारू चड़ी होने के बाद वो मुझे अपनी लुगाई बना दिया करती थी। मुझे इसमें कोई दिक्कत नहीं आती थी और मै शुरू से ही नीचे रह कर संभोग करता था। उसे शुरु शुरू में बड़ी शर्म आती थी पर बाद में वो काफी खुल गई थी। उसका शरीर शुरू से ही मेरे से बड़ा था वो मुझ से थोड़ी लम्बी थी इसीलिए कभी मेरे साथ साथ नहीं चलती थी । बाद में एक दिन जब में इसके पैरो के बाल सहला रहा था तो मुझ से बोली 
" ऐ जी मेरे पैरो में तो आप से भी ज्यादा बाल है , मुझे शर्म आती है।" 
मैंने कहा इस में शरमाने वाली क्या बात है , तुम्हारी तो मूछे भी आ रही है । मैंने कहा तो वो झेप गई और बोली "हा और तो और मेरी बगलों के बाल भी तुम्हारी बगल से ज्यादा बाल होने लग गए है , तुम्हे तो खुश होना चाहीए"। ऐसा कह के वो हसने लगी और मै शरमा गया फिर हंसने लगा।
फिर वो बोली " आप हंसते क्यों हो ? अपने मर्द से ज्यादा मर्दानी लगना कोई अच्छी बात है क्या , यहां की औरतें कई बार मुझे चिढाती है कि तुम में से पति कोन है और पत्नी कोन है " 
" आज थारी मूंछ बहुत बड़ी बड़ी लाग री से ? मैंने पूछा तो वो अपने हाथ से अपनी मूछो के बाल पकड़ के खीच के चैक करने लगी और बोली "सच बोल रहे हो थे, या तो सच में बड़ी बड़ी होगी , जद ही मै सोची की ठेकदारों घूर घूर क्या देख रहयो छे।" फिर मुस्कुराते हुए पूछने लगी कि  "थे रात ने महारि मूछा ने चॉटो क्यों हो ? एक तो मैने ही चोदबा में लगादयो छो। उप्पर से टांगा महरा कूल्हा पे लपेट लयो छो। थाने जरा भी शर्म कोनी आवे छे काई लुगाइयां की तरह चुदबा में" ? वो थोड़ा सा गुस्सा दिखाते हुए बोली
" अच्छा ज्या तने तो मजो ही को आवे, तू भी तो महारी छाती ने आया भीचे छे ज्या की में थारी लुगाई छू। एक तो थारा में अतनो बल आगयो छे की अया लगे चे की तू ही आदमी छे और तू मैंने उठा उठा पटके छे बिस्तर पे की माहरी तो कमर ही टूट जावे छे।में तो थारे लिप्टू ही थारा धक्का से बचबा की खातिर छू" मैने शरमाते हुए बोला।
फिर वो खिलखिला के हसने लगी और फिर मुझे इशारों से बुलाया और मुझे अपनी गोद के बीच में लेे के मेरे पीछे बैठ गई और अपने दोनों मजबूत पंजो से मेरी छाती भीचने लगी और अपनी दोनों टांगों से मेरी टांगे जकड़ ली ।
" ये क्या कर रही हो , क्या हो गया है तुम्हे मैंने पूछा तो वो मेरे से सट कर बैठ गई और  मेरी गान्ड जो कि काफी चिकनी थी उसकी झांटों भारी चूत पर रगड़ खाने लगी। उसकी चूत के बाल बहुत घने काले और कड़क थे । उसकी चूत का टीटक्या भी बड़ा था । मेरी गान्ड का छेद उसके टीटके में फंस गया और उसको फिर बड़ा मजा आने लगा। पर वो नीचे से ठीक से धक्के नहीं लगा पा रही थी तो उसने मुझे पलट दिया और मेरे ऊपर सांड की तरह चढ गई। दारू चड़ने के बाद जैसे लोग इंग्लिश बोलने लगते है वो मारवाड़ी से हिंदी बोलने लगती , उसका असली रूप सामने आ जाता , ऐसी ऐसी गन्दी बातें करती की कोई मर्द भी शर्मा जाए लेकिन मुझे तो बहुत मजा आता।
कभी मारवाड़ी में तो कभी हिंदी में मेरी मा बहन करती।
" है भगवान् महारे मोटो से लोडो होतो तो मै माहारे मरद ने पूरी लुगाई बनार ईके बच्चा कर देती। फिर वो मेरे कानो को को अपने दांतों से काटती और मेरे बटका भर लेती। जोर जोर से मेरे धक्के लगाती और उसके बलिष्ठ हाथ लगातार मेरी छाती भीचते रहते। 
" बस तू एआईया ही मैंने चोदती रहेली तो महारा बोबा जरूर निकल जावेला। थारी चोली पहनरी पड़ेली मन्ने।
" रुक जा माहारी जान, थारी गान्ड तो मार लयु निका। अबार रुक जाओ थाने पलट फेर होठा ने चूसुली । फिर थे महारी मूछाया ने चाट जो।"
फिर उसने मुझे पलट दिया और तुरंत मेरी टांगे फैला के मेरे उप्पर लेट गई , मैंने अपनी टांगे उसके कूल्हों पे लपेट दी ताकि वो जोर जोर से धक्के ना दे पाए। उसने मेरे दोनों हाथों को अपने एक हाथ से पकड़ के मेरे सर के उप्पर रख दिए , उसकी लंबे लंबे बालों वाली कांख मेरे मूह पर आ गई तो मैंने फट से उसमे मूह गुसा दिया।उसने अपने दूसरे हाथ से मेरी दाई छाती दबोच ली फिर जोर जोर से धक्का लगाने लगी , उसकी बड़ी चूत्त अभी भी मेरी गान्ड के नीचे लगी हुए धक्का मार रही थी ऐसा लग रहा था कि उसकी चुत्त का टीटका काफी बड़ा होकर मेरी गान्ड में घुस गया है।