Monday, 25 November 2024

दादी वाली औरतों का बुढ़े आदमियों से प्यार

शीर्षक: दाढ़ी वाली देवियां और बुढ़े मर्दों का गाँव

भाग 1: गाँव की कहानी

पंजाब के दिल में बसा एक छोटा-सा गाँव, जिसे लोग "दाढ़ीवाल" कहते थे। इस गाँव की खास बात यह थी कि यहाँ की हर औरत के चेहरे पर घनी दाढ़ी होती थी। लेकिन यह दाढ़ी उनके लिए किसी शर्मिंदगी का कारण नहीं, बल्कि गर्व की बात थी। ऐसा कहा जाता था कि यह गाँव किसी प्राचीन देवी के आशीर्वाद से ऐसा बना था।

गाँव की बूढ़ी औरतें कहती थीं कि सदियों पहले, देवी चंडी माँ यहाँ प्रकट हुई थीं। उन्होंने गाँव की महिलाओं को आशीर्वाद दिया था कि वे इतनी शक्तिशाली होंगी कि कोई भी मर्द उनसे मुकाबला नहीं कर सकेगा। साथ ही, उनके चेहरे पर दाढ़ी आएगी, जो उनकी ताकत का प्रतीक होगी। यह आशीर्वाद उन्हें समाज के पारंपरिक बंधनों से मुक्त करने के लिए दिया गया था।

भाग 2: दाढ़ी का गर्व

यहाँ की महिलाएं अपनी दाढ़ी को बड़े ही गर्व से रखती थीं। वे इसे किसी गहने की तरह सजातीं, मेंहदी और तेल से इसे चमकातीं। इस गाँव में हर साल एक त्योहार मनाया जाता था, जिसे "दाढ़ी उत्सव" कहा जाता था। इस दिन महिलाएं अपनी सबसे सुंदर दाढ़ी दिखाने के लिए प्रतियोगिता में हिस्सा लेतीं।

इस गाँव में एक और अजीब परंपरा थी—यहाँ की औरतें केवल बूढ़े मर्दों से ही शादी करती थीं। ऐसा माना जाता था कि बूढ़े मर्दों में एक अलग तरह की परिपक्वता और शांति होती है, जो युवा मर्दों में नहीं होती।

भाग 3: गाँव का अनोखा नियम

गाँव में एक नियम था कि कोई भी बाहरी व्यक्ति यहाँ शादी नहीं कर सकता था। लेकिन अगर कोई बूढ़ा आदमी, जिसकी उम्र 60 से ज्यादा हो, यहाँ की महिला को पसंद करे और उससे शादी करना चाहे, तो उसे देवी के मंदिर में आकर एक विशेष पूजा करनी पड़ती थी।

यह पूजा देवी को यह दिखाने के लिए होती थी कि वह आदमी उस महिला का सम्मान करेगा और उसे उसकी ताकत और दाढ़ी के साथ स्वीकार करेगा।

भाग 4: कहानी शुरू होती है

गाँव की सबसे सुंदर औरत थी हरजीत कौर, जिसकी दाढ़ी इतनी घनी और लंबी थी कि लोग उसे दूर-दूर से देखने आते थे। हरजीत एक मजबूत औरत थी, जिसने गाँव की महिलाओं के बीच हमेशा अपनी जगह बनाए रखी थी।

एक दिन, गाँव में एक बूढ़ा आदमी आया। उसका नाम था गुरमीत सिंह। गुरमीत 65 साल का था और उसने अपनी जिंदगी में बहुत पैसा कमाया था, लेकिन उसे कभी सच्चा प्यार नहीं मिला। उसने सुना था कि दाढ़ीवाल गाँव की औरतें बहुत अलग और अनोखी होती हैं।

गुरमीत ने गाँव में आकर हरजीत को देखा। उसकी दाढ़ी और आत्मविश्वास देखकर वह उसकी तरफ खिंच गया।

भाग 5: पहली मुलाकात

गुरमीत ने हरजीत से मिलने की कोशिश की, लेकिन गाँव की महिलाएं बहुत सख्त थीं। उन्होंने कहा, "पहले देवी के मंदिर में पूजा करो, तभी हमारी हरजीत से बात कर सकते हो।"

गुरमीत ने बिना सवाल किए देवी के मंदिर में पूजा की। पूजा के बाद, हरजीत ने गुरमीत से कहा, "तुम्हें पता है, हमारी दाढ़ी हमारे लिए कितनी खास है? अगर तुम इसे स्वीकार कर सकते हो, तो ही हमारे बीच कोई रिश्ता हो सकता है।"

गुरमीत ने मुस्कुराते हुए कहा, "मुझे तुम्हारी दाढ़ी नहीं, तुम्हारा आत्मविश्वास पसंद है। और यही मेरे लिए काफी है।"

भाग 6: प्यार का इज़हार

धीरे-धीरे, गुरमीत और हरजीत के बीच एक रिश्ता बनने लगा। हरजीत ने गुरमीत से कहा, "तुम्हें पता है, यहाँ की महिलाएं अपनी ताकत और दाढ़ी के कारण मर्दों के मुकाबले खुद को ज्यादा मजबूत मानती हैं। हमें मर्दों से ज्यादा किसी का सहारा नहीं चाहिए।"

गुरमीत ने कहा, "तुम सही कहती हो। लेकिन मैं तुम्हें कभी कमजोर महसूस नहीं कराऊंगा। अगर तुम्हें मेरी जरूरत होगी, तो मैं हमेशा तुम्हारे साथ खड़ा रहूंगा।"

भाग 7: शादी की तैयारी

हरजीत और गुरमीत ने शादी का फैसला किया। यह खबर पूरे गाँव में फैल गई। गाँव की महिलाएं खुश थीं कि एक और बूढ़ा आदमी उनकी परंपराओं का हिस्सा बनने जा रहा था। शादी के दिन, हरजीत ने अपनी दाढ़ी में फूल सजाए और गुरमीत ने अपने सिर पर सफेद पगड़ी बांधी।

शादी के बाद, गुरमीत ने कहा, "मैं तुम्हारा पति जरूर हूँ, लेकिन मैं तुम्हें हर उस भूमिका में सपोर्ट करूंगा, जो तुम निभाना चाहती हो।"

भाग 8: दूसरे जोड़ों की कहानियाँ

इस गाँव में सिर्फ हरजीत और गुरमीत की कहानी नहीं थी। यहाँ और भी अनोखे जोड़े थे:

1. बलबीर और परमजीत:
बलबीर, 70 साल का एक लेखक, और परमजीत, 30 साल की एक किसान। दोनों का रिश्ता इस बात पर आधारित था कि परमजीत बलबीर के लिए प्रेरणा का स्रोत थी।


2. जगदीप और अमनदीप:
जगदीप, 65 साल का एक कलाकार, और अमनदीप, 28 साल की एक पहलवान। दोनों ने समाज की परंपराओं को तोड़कर अपना रिश्ता बनाया।


3.. मनजीत और हरप्रीत:
हरप्रीत ने शादी के बाद अपने पति मनजीत को मिठाई खिलाते हुए कहा, "तुम मेरी जिंदगी का सबसे प्यारा हिस्सा हो। लेकिन याद रखना, अब से जो मैं कहूँगी, वही होगा।" मनजीत ने उसके गालों पर चुंबन दिया और कहा, "तुम्हारे आदेश मेरे लिए खुशी हैं।"



गाँव का प्रभाव

यह गाँव समाज की परंपराओं को पूरी तरह से चुनौती दे रहा था। यहाँ रिश्ते का मतलब बराबरी और ताकत का मेल था, लेकिन एक अनोखे तरीके से। औरतें, जो दाढ़ी और ताकत की प्रतीक थीं, अपने बूढ़े पतियों के लिए सुरक्षा और सहारा थीं। वहीं, बूढ़े मर्द अपनी पत्नियों की ताकत और अधिकार को सम्मान देते थे।

गाँव के बाहर लोग इस पर चर्चा करते थे। कुछ लोग इसे अजीब समझते, तो कुछ इसे एक नई सोच की शुरुआत मानते। लेकिन दाढ़ीवाल गाँव के लोगों को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता था।

हरजीत और गुरमीत की अनोखी कहानी

हरजीत ने गुरमीत से कहा, "तुम जानते हो, यह दाढ़ी हमारे लिए देवी का आशीर्वाद है। यह सिर्फ हमारी पहचान नहीं, बल्कि हमारी ताकत है। तुम्हारा मुझे स्वीकार करना मेरे लिए सबसे बड़ी बात है।"

गुरमीत ने कहा, "तुम्हारी दाढ़ी तुम्हारी ताकत है, और तुम्हारा प्यार मेरी ताकत। हमारे रिश्ते में कोई कमजोर या ताकतवर नहीं है। यह सिर्फ हमारी खुशी और समझदारी का मेल है।"

हरजीत ने प्यार से गुरमीत को गले लगाया और कहा, "तुम्हारा यह मानना ही मुझे और ताकतवर बनाता है।"

अंत में

दाढ़ीवाल गाँव ने यह साबित कर दिया कि रिश्ते पारंपरिक भूमिकाओं और परिभाषाओं से परे हो सकते हैं। यहाँ औरतें अपने पतियों को न केवल प्यार देती थीं, बल्कि उनका सहारा भी बनती थीं। वहीं, बूढ़े मर्द अपनी पत्नियों की ताकत को न केवल स्वीकार करते थे, बल्कि उसे सराहते भी थे।

यह कहानी दिखाती है कि प्यार और रिश्तों में बाहरी स्वरूप या सामाजिक परंपराओं से ज्यादा भावनाओं और समझदारी का महत्व है।

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