Monday, 25 November 2024

पत्नी की दाढ़ी और सीने के बाल

यह कहानी एक अनोखे पंजाबी दंपत्ति की है, जिसमें पत्नी गुरप्रीत कौर न केवल बड़ी दाढ़ी रखती है बल्कि उसके घने और चौड़े सीने पर बाल भी हैं। इस अद्वितीय स्थिति ने उनके रिश्ते में हंसी, मज़ाक, और थोड़ी बहुत तकरार को एक नया आयाम दिया है।


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सुबह का मज़ाक

गुरप्रीत सुबह-सुबह आंगन में बैठी अपनी दाढ़ी को कंघी कर रही थी। साथ ही वह अपने सीने के बालों पर भी हाथ फेर रही थी, जैसे किसी राजा की शान दिखा रही हो।
जसविंदर अपने छोटे से आईने के सामने बैठा अपनी हल्की-सी दाढ़ी को संवारने में जुटा था।

गुरप्रीत: (चिढ़ाते हुए) "ओए जस्सी, तू अपनी दाढ़ी को इतना क्यों घिस रहा है? कुछ नहीं होगा! देख मेरी तरफ, दाढ़ी क्या होती है और मर्द कौन होता है!"
जसविंदर: (गहरी सांस लेते हुए) "ओए, अब तू फिर से शुरू हो गई। मैं मानता हूं कि तेरी दाढ़ी बड़ी है, पर कम से कम सीने के बालों की बात तो मत छेड़।"
गुरप्रीत: (हंसते हुए) "क्यों? सच सुनने में दिक्कत है? तेरे सीने पर तो बस गिने-चुने बाल हैं। और ये देख, मेरा सीना। ऐसा घना कि गांव के सब मर्द भी शर्मा जाएं!"

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गांव की चौपाल पर हंसी-मजाक

गुरप्रीत और जसविंदर चौपाल पर पहुंचे। जैसे ही गुरप्रीत ने अपनी चुन्नी ठीक की, उसके सीने के बाल हल्के-से दिख गए। गांव के एक बूढ़े चाचा ने तुरंत नोटिस किया।

चाचा जी: "ओ जस्सी, तेरी बीवी तो सच में किसी पहलवान जैसी लगती है! इतनी घनी दाढ़ी और अब ये सीने के बाल!"
गुरप्रीत: (हंसते हुए) "चाचा जी, हमारे घर में मर्द सिर्फ मैं हूं। जस्सी को देखो, इसकी तो दाढ़ी भी मुझसे आधी है और सीने के बाल तो गिनने में भी दो मिनट लगेंगे।"
चाचा जी: "जस्सी बेटा, ये तो तेरी मर्दानगी पर सवाल है।"

जसविंदर कुछ बोलता, उससे पहले ही गुरप्रीत ने बात संभाल ली।
गुरप्रीत: "चाचा जी, जस्सी की मर्दानगी उसकी दाढ़ी या सीने के बालों से नहीं, बल्कि उसके दिल से है। लेकिन हां, कभी-कभी मुझे उसे देखकर लगता है कि घर की असली मर्द मैं ही हूं।"


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घर का झगड़ा

एक दिन गुरप्रीत ने मज़ाक में जसविंदर से कहा, "ओए, तेरे पास न दाढ़ी है, न सीने के बाल। तुझे तो सलवार-कुर्ता पहनकर घूमना चाहिए।"
जसविंदर: (गुस्से में) "ओ गुरप्रीत, ज्यादा मत बोल। अगर मेरे पास तेरे जितनी दाढ़ी और बाल नहीं हैं, तो क्या मैं मर्द नहीं हूं?"
गुरप्रीत: (हंसते हुए) "अरे गुस्सा मत कर। मैं तो बस मज़ाक कर रही थी। पर सच में, कभी-कभी मुझे लगता है कि मैं तेरे से ज्यादा मर्द जैसी हूं।"


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मुकाबले का दिन

एक दिन जसविंदर ने फैसला किया कि अब गुरप्रीत को जवाब देना ही पड़ेगा। उसने अपने सीने पर नकली बाल लगाकर और अपनी दाढ़ी में नकली बाल जोड़कर खुद को पूरी तरह बदल लिया।

गुरप्रीत जब आंगन में आई तो जसविंदर को देखकर चौंक गई।
गुरप्रीत: "ओए जस्सी, ये क्या कर लिया तूने? तेरी दाढ़ी इतनी लंबी कैसे हो गई? और ये सीने पर इतने सारे बाल?"
जसविंदर: (सीना चौड़ा करते हुए) "अब बता, असली मर्द कौन है? अब तो मैं तुझसे भी बड़ा मर्द लग रहा हूं!"

गुरप्रीत हंसते-हंसते लोटपोट हो गई।
गुरप्रीत: "ओए, नकली बालों से मर्दानगी साबित नहीं होती। असली मर्द वो है जो मज़ाक सह सके। और वैसे भी, ये बाल तुझे मेरे जितने घने नहीं बना सकते।"


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प्यार और समझदारी

गुरप्रीत और जसविंदर का रिश्ता केवल मज़ाक और तकरार तक सीमित नहीं था। उनके बीच प्यार और समझदारी भी थी।
एक दिन गुरप्रीत ने जसविंदर से कहा, "जस्सी, मज़ाक अपनी जगह, पर तेरे बिना मेरी ज़िंदगी अधूरी है। दाढ़ी और बाल तो बस हंसी-मज़ाक के लिए हैं। असली रिश्ता तो दिल से होता है।"
जसविंदर: "हां गुरप्रीत, तेरे साथ रहकर मैंने सीखा है कि असली ताकत बाहरी नहीं, अंदर से होती है। और तेरे जैसा साथ मुझे कहीं नहीं मिलेगा।"


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अंत

इस अनोखे पंजाबी दंपत्ति ने यह साबित कर दिया कि रिश्तों में बाहरी दिखावे से ज्यादा आपसी प्यार और मज़ाक का महत्व है। चाहे गुरप्रीत की दाढ़ी बड़ी हो या उसके सीने के बाल घने, उनके रिश्ते में सबसे बड़ी बात उनका अटूट प्यार था।

प्रस्तावना: गुरप्रीत की नई कहानी

गुरप्रीत कौर बचपन से ही गांव की सबसे अलग लड़की थी। उसकी बड़ी और घनी दाढ़ी बचपन से ही उसकी पहचान बन गई थी। शादी के बाद भी उसकी दाढ़ी जसविंदर की छोटी-सी दाढ़ी पर भारी पड़ती थी। लेकिन सबकुछ तब बदल गया, जब गुरप्रीत ने एक दिन अपने लिए एक नई शुरुआत का फैसला किया।


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एक नई शुरुआत

गुरप्रीत एक सुबह शीशे के सामने खड़ी अपनी दाढ़ी को ध्यान से देख रही थी। उसे अपनी घनी दाढ़ी पर गर्व था, लेकिन वह बदलाव चाहती थी। उसने जसविंदर को बुलाया।

गुरप्रीत: "जस्सी, मैंने कुछ सोचा है।"
जसविंदर: "ओए, अब क्या नई बात सूझी है तुझे?"
गुरप्रीत: "मैं अपनी दाढ़ी कटवाने का सोच रही हूं।"
जसविंदर: (हैरानी से) "क्या? तू और अपनी दाढ़ी कटवाएगी? ये कैसे हो सकता है?"
गुरप्रीत: "क्यों नहीं? बदलाव ज़रूरी है। लेकिन चिंता मत कर, मैं तेरी तरह छोटी दाढ़ी नहीं रखूंगी। बल्कि मैं इसे पूरी तरह से हटवा दूंगी।"

जसविंदर इस बात पर चुप हो गया। उसे यकीन नहीं हो रहा था कि गुरप्रीत ऐसा कर सकती है।

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दाढ़ी की विदाई

अगले दिन, गुरप्रीत ने गांव के सैलून में जाकर अपनी दाढ़ी पूरी तरह से हटवा दी। जब वह घर लौटी, तो जसविंदर ने उसे देखा और हैरान रह गया।

जसविंदर: "ओए, ये सच में तू है? मैं तो पहचान ही नहीं पाया।"
गुरप्रीत: "हां, अब मैं तेरे जैसे दिखती हूं। लेकिन रुक, अभी खेल खत्म नहीं हुआ।"


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नई समस्या: सीने के बाल

कुछ हफ्तों बाद, गुरप्रीत ने महसूस किया कि उसकी दाढ़ी तो जा चुकी थी, लेकिन उसके सीने पर बाल तेजी से बढ़ने लगे थे। उसने पहले इसे नजरअंदाज किया, लेकिन जब वे और घने होने लगे, तो वह खुद भी हैरान रह गई।

एक सुबह जब वह आंगन में बैठी थी, उसने अपनी चुन्नी ठीक की और सीने पर हाथ फेरा।
गुरप्रीत: "ओ जस्सी, आ ज़रा इधर।"
जसविंदर: "अब क्या हुआ?"
गुरप्रीत: "देख, मेरी दाढ़ी तो चली गई, लेकिन अब मेरे सीने पर इतने बाल आ गए हैं कि मैं फिर से तुझसे ज्यादा मर्द जैसी लग रही हूं।"
जसविंदर ने उसे देखा और अपनी हंसी रोक नहीं पाया।
जसविंदर: "ओए, अब क्या तुझे इन्हें भी कटवाने का इरादा है?"
गुरप्रीत: "क्यों कटवाऊं? ये मेरी शान है। बल्कि अब तो मैं इन्हें भी तुझसे कंपेयर करूंगी। तेरे सीने के बाल कितने हैं?"

जसविंदर ने अपना कुर्ता उठाया और सीने के कुछ गिने-चुने बाल दिखाए।
गुरप्रीत: "बस इतने? ये तो मेरी चुन्नी में फंसकर खो भी सकते हैं!"

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गांववालों की नई हंसी

अब गांव में गुरप्रीत की चर्चा एक और वजह से होने लगी। लोग उसकी दाढ़ी को याद करते, लेकिन अब उसकी घनी छाती के बालों पर चर्चा करते थे।

गांव के एक बुजुर्ग ने मजाक में कहा, "गुरप्रीत, तेरी दाढ़ी गई, लेकिन तेरा मर्दाना अंदाज अब तेरे सीने पर आ गया है।"

गुरप्रीत ने शान से जवाब दिया, "चाचा जी, मर्दाना अंदाज दिल से आता है। जस्सी चाहे जितना भी कोशिश कर ले, मेरे बराबर नहीं आ सकता।"

जसविंदर बस चुपचाप खड़ा मुस्कुरा रहा था।

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प्यार और मज़ाक

शाम को घर में, गुरप्रीत और जसविंदर दोनों बैठे चाय पी रहे थे।
गुरप्रीत: "जस्सी, सच बता, तेरे को जलन तो होती है ना?"
जसविंदर: "किस बात की?"
गुरप्रीत: "मेरे सीने के बालों की। अब तो तेरे पास दाढ़ी में मुकाबला करने का भी मौका नहीं।"
जसविंदर: "अरे, मुझे जलन क्यों होगी? मैं खुश हूं कि मेरी बीवी सबसे अलग है। लेकिन सच में, कभी-कभी सोचता हूं कि घर में मर्द कौन है?"
गुरप्रीत: "मर्द मैं हूं। और ये मैं साबित कर चुकी हूं। चल, अब रसोई में जा और खाना बना।"

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अंत

गुरप्रीत और जसविंदर की यह नई कहानी फिर से साबित करती है कि रिश्तों में बाहरी रूप-रंग से ज्यादा हंसी-मज़ाक और आपसी प्यार का महत्व होता है। चाहे गुरप्रीत की दाढ़ी हो या उसके सीने के बाल, वह अपने अनोखे अंदाज से जसविंदर को हमेशा चुनौती देती रही। लेकिन उनका प्यार और एक-दूसरे की मज़ाक को सहने की ताकत ही उनके रिश्ते की असली खूबसूरती थी।
वे अब दिन रातप्यार करते और वह अपनी पत्नी के बाल भरे सीने केके दीवाना हो गया।



नई कहानी की शुरुआत: गुरप्रीत का मर्दाना अंदाज़

गुरप्रीत कौर की बड़ी दाढ़ी अब भले ही चली गई हो, लेकिन उसके आत्मविश्वास और मर्दाना अंदाज़ में कोई कमी नहीं आई। उसकी नई पहचान अब उसके सीने के घने बाल और उसकी ताकत बन गई थी। उसने अब जसविंदर को छेड़ने का एक नया तरीका खोज निकाला: जब भी वे घर में अकेले होते, वह जसविंदर को अपनी ताकत दिखाने के लिए उसे मज़ाक में धकेल देती।

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सुबह का मज़ाक

सुबह का समय था। जसविंदर अपने कुर्ते के बटन लगाते हुए कमरे से बाहर निकलने की तैयारी कर रहा था। गुरप्रीत ने उसे पीछे से देखा और उसके करीब पहुंच गई।
गुरप्रीत: "ओए जस्सी, इधर आ।"
जसविंदर: "अब क्या हुआ, गुरप्रीत?"
गुरप्रीत: "कुछ नहीं। बस देखना चाहती हूं कि तुझमें कितना दम है।"
जसविंदर: (हैरानी से) "मतलब?"

गुरप्रीत ने बिना कुछ कहे उसे अचानक पीछे से धक्का दे दिया। जसविंदर सीधा पलंग पर गिर पड़ा।
जसविंदर: "ओए पगली! ये क्या कर रही है?"
गुरप्रीत: (हंसते हुए) "अरे, मैं तुझे सिर्फ ये याद दिला रही हूं कि घर में असली ताकत किसकी है। तेरे सीने के गिने-चुने बाल और तेरी छोटी सी दाढ़ी कुछ नहीं कर सकतीं।"

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दिन भर की तकरार

गुरप्रीत ने अब जसविंदर को छेड़ने का यह तरीका अपनी रोजमर्रा की आदत बना लिया। जब भी दोनों अकेले होते, वह अचानक उसके करीब जाती और उसे कभी उसकी कमर पकड़कर पलंग पर धकेल देती या फिर उसके कंधों पर हाथ रखकर उसे पीछे धकेल देती।

एक बार जसविंदर ने हिम्मत जुटाकर उसे टोकने की कोशिश की।
जसविंदर: "ओ गुरप्रीत, तुझे मज़ाक करना है, तो बोलकर कर। ये पीछे से धक्का देना बंद कर।"
गुरप्रीत: "अरे जस्सी, तू इतना कमजोर क्यों है? असली मर्द तो ऐसे मज़ाक को झेल सकता है। और वैसे भी, मर्द मैं हूं या तू, ये तो तुझे हर बार याद दिलाना पड़ता है।"

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अकेले में नया खेल

एक दिन, जब वे घर में अकेले थे, गुरप्रीत ने फिर से उसे पीछे से पकड़ लिया।
गुरप्रीत: "जस्सी, आज देखते हैं कि तू मुझे रोक सकता है या नहीं। चल, कोशिश कर!"
जसविंदर: "अरे, क्या कर रही है? छोड़ मुझे।"

गुरप्रीत ने उसे फिर से धक्का देकर जमीन पर गिरा दिया और हंसते हुए बोली, "बस यही तेरा दम है? मैं तुझसे दोगुनी ताकतवर हूं।"
जसविंदर ने गुस्से में पलटकर जवाब दिया, "तू सिर्फ ताकत दिखाना जानती है। पर असली ताकत प्यार में होती है। ये सब छोड़ और चल खाना बना।"

गुरप्रीत: (हंसते हुए) "खाना बनाना? वो औरतें करती हैं। तू बनाकर ला, क्योंकि घर की औरत तो तू है!"

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गांव में चर्चा

गांव में अब यह बात मशहूर हो गई थी कि गुरप्रीत अपने पति को घर में धकेलने का नया खेल खेलती है। एक दिन गांव के चौपाल में जब यह बात उठी, तो सभी पुरुष हंसने लगे।
चाचा जी: "जस्सी, तेरी बीवी तो तुझे पहलवान जैसा ट्रेन कर रही है। कहीं कुश्ती लड़ने का इरादा तो नहीं?"
जसविंदर: "चाचा जी, ये सब उसकी मस्ती है। मुझे कोई दिक्कत नहीं, लेकिन अब ये रोज़ हो गया है।"
चाचा जी: "जरा मर्द बन! अगली बार जब वो धकेले, तो उसे पकड़कर पलट दे।"

जसविंदर ने सोचा कि अगली बार ऐसा ही करेगा।


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जसविंदर की पलटवार

अगले दिन जब गुरप्रीत ने फिर से उसे धक्का देने की कोशिश की, तो इस बार जसविंदर तैयार था। उसने गुरप्रीत के हाथों को पकड़ा और उसे मज़ाक में पलंग पर बैठा दिया।
गुरप्रीत: "ओए जस्सी, तूने ये क्या किया?"
जसविंदर: "अब मुझे तुझसे डर नहीं लगता। और वैसे भी, ताकत दिखाने से कुछ नहीं होता। असली मर्द वो होता है, जो प्यार से जीते।"

गुरप्रीत ने उसे देखा और हंसते हुए कहा, "अच्छा, चल मान लिया। पर मैं तुझे फिर से हराऊंगी। अभी खेल खत्म नहीं हुआ!"


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प्यार और मज़ाक का मेल

गुरप्रीत और जसविंदर का रिश्ता मज़ाक, प्यार और हल्की तकरार का अनोखा मेल था। गुरप्रीत अपनी ताकत और मज़ाकिया अंदाज से जसविंदर को छेड़ती रही, लेकिन जसविंदर हर बार अपने शांत स्वभाव से रिश्ते को संतुलित रखता।
गुरप्रीत: "जस्सी, सच में, तू बड़ा प्यारा है। चाहे मैं तुझे धक्का दूं या चिढ़ाऊं, पर तेरे जैसा कोई नहीं।"
जसविंदर: "और तू, मेरी सबसे बड़ी ताकत और सबसे बड़ी चुनौती है। तुझसे लड़ना और तुझसे प्यार करना, दोनों ही मेरी जिंदगी का हिस्सा हैं।"

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अंत

गुरप्रीत और जसविंदर की यह अनोखी कहानी यह साबित करती है कि रिश्तों में मज़ाक और प्यार का मेल सबसे जरूरी है। चाहे गुरप्रीत अपनी ताकत दिखाए या जसविंदर अपनी शांति, दोनों एक-दूसरे के लिए बने थे और उनकी हंसी-मज़ाक भरी जिंदगी ही उनकी असली खुशी थी।

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