Monday, 25 November 2024

hairy woman in Punjab


भाग 1: शाम का समय और घर का सुकून

गाँव की एक ठंडी शाम थी। घर के आँगन में हल्की रोशनी जल रही थी। मनदीप और हरजोत खाने के बाद चारपाई पर बैठे थे। उनके सामने चाय का बड़ा-सा गिलास था, जिसमें से भाप उठ रही थी।

मनदीप, जो अपनी बड़ी कद-काठी और चेहरे की हल्की दाढ़ी के कारण अक्सर "मर्दानी" कहलाई जाती थी, ने अपने लंबे बालों को गूंथते हुए कहा, "हरजोत, आज तू बड़ा खुश दिख रहा है। बात क्या है?"

हरजोत मुस्कुराते हुए बोला, "तूने कभी महसूस किया है कि मैं तुझे कितना खास मानता हूँ? मैंने कभी किसी से ये बात नहीं कही, पर आज तुझसे कहना चाहता हूँ।"

"क्या बात है, ऐसे गंभीर क्यों हो गया? कुछ हुआ है क्या?" मनदीप ने उसे चिढ़ाते हुए कहा।

भाग 2: हरजोत का इज़हार

हरजोत थोड़ा झिझकते हुए बोला, "मनदीप, मुझे हमेशा से एक ऐसी महिला चाहिए थी, जो मजबूत हो, मुझसे बड़ी हो, और...जो मुझसे ज्यादा बालों भरे शरीर वाली हो। मुझे तुझमें वो सबकुछ मिलता है, जो मैं हमेशा से चाहता था।"

मनदीप ने अपनी भौंहें चढ़ाते हुए कहा, "अरे, ये कौन-सी बात हुई? लोग तो कहते हैं कि मर्द औरत से ताकतवर और बालों वाला होना चाहिए।"

हरजोत ने उसका हाथ पकड़ते हुए कहा, "लोग क्या कहते हैं, उससे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता। तू जो है, वही मेरे लिए सबसे खास है। मुझे तेरे चेहरे के बाल, तेरी मर्दानी कद-काठी, और तेरी ताकत पसंद है।"

मनदीप ने हँसते हुए कहा, "लोगों के हिसाब से तो मैं रिश्ते में 'मर्द' हूँ और तू 'औरत'। कभी-कभी मैं सोचती हूँ, तुझे इन सब बातों से कोई परेशानी क्यों नहीं होती?"

हरजोत ने चाय का घूँट लेते हुए जवाब दिया, "मनदीप, मर्दानगी और औरतपन शरीर से तय नहीं होता। ये हमारे स्वभाव, प्यार और रिश्ते की गहराई से तय होता है। मुझे तेरा मर्दाना होना अच्छा लगता है। मुझे खुशी होती है जब तू घर के बाहर सब कुछ संभालती है और मैं तेरे लिए घर के अंदर छोटे-छोटे काम करता हूँ।"

भाग 4: मनदीप की सोच

मनदीप थोड़ी गंभीर हो गई। उसने कहा, "हरजोत, तुझे कभी ऐसा नहीं लगता कि लोग मजाक उड़ाते हैं? कहते हैं कि 'मनदीप तो असली मर्द है' और 'हरजोत घर में बैठा औरत का काम करता है'? मुझे कई बार लगता है कि मैं तुझे इस रिश्ते में तकलीफ दे रही हूँ।"

हरजोत ने तुरंत उसे रोकते हुए कहा, "तकलीफ? बिल्कुल नहीं। अगर मुझे ये सब बुरा लगता, तो मैं तुझसे कभी शादी ही नहीं करता। सच कहूं तो, मैं हमेशा से एक ऐसी पत्नी चाहता था, जो मुझसे ताकतवर हो, जो अपने पैरों पर खड़ी हो, और जो रात को  मुझे मर्द की तरह प्यार करे।"
भाग 5: बचपन का सपना

हरजोत ने एक गहरी सांस लेते हुए कहा, "जब मैं छोटा था, तो मेरे घर वाले हमेशा मुझे मर्दों जैसी हरकतें करने के लिए कहते थे। लेकिन मुझे हमेशा नाजुक चीजें पसंद थीं। मुझे खाना बनाना, घर सजाना और साफ-सफाई करना पसंद था। मुझे मर्दाना दिखने का कभी शौक नहीं था। मुझे लगता था कि एक दिन मेरी जिंदगी में कोई ऐसा आएगा, जो मुझे मेरे जैसा स्वीकार करेगा। और वो तू है।"

मनदीप ने उसकी बात सुनकर उसकी ओर देखा। उसकी आँखों में गहरी ईमानदारी थी। "हरजोत, तूने ये सब पहले क्यों नहीं बताया?" उसने पूछा। मुझे लगा मै रात को लड़की बनाती हु तो तुझे बुरा लगता होगा।

भाग 6: मनदीप का इज़हार

मनदीप ने थोड़ा रुककर कहा, "हरजोत, सच कहूँ तो मैं भी बचपन से अलग थी। मेरे शरीर पर बाल जल्दी आ गए थे। लड़कियों जैसी पतली कमर और नाजुक हाथ-पैर कभी नहीं थे मेरे। लड़के मुझे 'भाई' कहकर बुलाते थे, और लड़कियाँ मुझसे डरती थीं। मैं सोचती थी कि क्या मुझे कभी कोई ऐसा मिलेगा, जो मुझे मेरी पहचान के साथ अपनाएगा। और वो तू है।"

हरजोत ने मुस्कुराते हुए कहा, "तो फिर दोनों को वो मिल गया, जो हम चाहते थे।"
भाग 7: रिश्ते की गहराई

दोनों ने एक-दूसरे की तरफ देखा। कमरे में हल्की रोशनी थी, और बाहर चिड़ियों की आवाज आ रही थी। हरजोत ने कहा, "मुझे तेरा बलशाली होना पसंद है। मुझे लगता है, हम दोनों एक-दूसरे को पूरा करते हैं। तू मेरी ताकत है, और मैं तेरी शांति।"

मनदीप ने उसकी बात को महसूस करते हुए कहा, "और मैं तेरी इस बात की कदर करती हूँ कि तू मुझे मेरे हर रूप में स्वीकार करता है। तू मुझे औरत' नहीं मानता, और मेरा साथ देता है। यही असली प्यार है।"

भाग 8: रिश्ते का नयापन

हरजोत ने कहा, "तू जानती है, जब पहली बार मैंने तुझे देखा था, तेरे चेहरे पर हल्की दाढ़ी थी और हाथ-पैरों पर बाल थे। उसी समय मुझे लगा था कि तू अलग है। और मुझे हमेशा से ऐसा ही साथी चाहिए था।"

मनदीप ने हँसते हुए कहा, "तो तू मेरे बालों का दीवाना है?"
हरजोत ने मुस्कुराते हुए कहा, "हां, और सिर्फ बालों का नहीं, तेरी पूरी शख्सियत का। तू जैसी है, मुझे वैसी ही चाहिए थी।"

भाग 9: सपनों की बात

मनदीप ने कहा, "हरजोत, क्या तुझे कभी डर नहीं लगता कि लोग हमारे रिश्ते को समझ नहीं पाएंगे?"

हरजोत ने गहरी सांस लेते हुए कहा, "डर क्यों लगेगा? लोगों की सोच पर हमारा कोई बस नहीं। लेकिन हमारी खुशी पर हमारा हक है। और जब तक तू मेरे साथ है, मुझे किसी और की जरूरत नहीं।"
भाग 10: अंत में खुशी

दोनों ने उस रात देर तक बातें कीं। वो अपने रिश्ते की सच्चाई और गहराई को महसूस कर रहे थे। मनदीप ने महसूस किया कि हरजोत उसका सबसे बड़ा सहारा है, और हरजोत को इस बात की खुशी थी कि उसे मनदीप जैसी साथी मिली है, जो उसकी हर बात समझती है।

उस रात, उनके बीच बहुत प्यार हुआ ।

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